Shiksha Shastri Course

The Shiksha Shastri Course was started in 1967. Previously the course was affiliated with University of Rajasthan and now it is affiliated with JAGADGURU RAMANANDACHARYA RAJASTHAN SANSKRIT UNIVERSITY, JAIPUR. The Course is approved by the NCTE vide its order No. F.No.F-3/RJ-33/B.Ed./2000/4862, dated 24th July, 2000 with an annual intake of 120 pupil-teachers and revised order no. F.No./NRC/NCTE/F-7/RJ-33/2015/106603-07, dated 28th May, 2015 with an annual intake of three basic units (50 pupil-teachers each).The Course has permanent NOC from State Government of Rajasthan and also permanent affiliation with JAGADGURU RAMANANDACHARYA RAJASTHAN SANSKRIT UNIVERSITY. The course is also recognized by UGC under 2(f) and 12(b) of UGC ACT 1956.

 

Objectives:-

द्विवर्षीय शिक्षा शास्त्री (बी.एड.) पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तरों की शिक्षा हेतु भाषा एवं विषय दक्षताओं व शिक्षाशास्त्रीय कौशलों से युक्त अध्यापकों को सृजित करना है | इस पाठ्यक्रम के अन्य कतिपय महत्वपूर्ण उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • शिक्षा की प्रकृति एवं शिक्षाशास्त्रीय प्रक्रियाओं का ज्ञान प्रदान करना |
  • शिक्षा के विविध परिप्रेक्ष्यों से परिचित कराना |
  • संस्कृत वांग्मय में निहित शिक्षणशास्त्रीय अवधारणाओं को स्पष्ट करना |
  • विकास की प्रक्रिया तथा विभिन्न अवस्थाओं की आवश्यकताओं को पहचानने की योग्यता उत्पन्न करना |
  • अधिगम की प्रक्रिया तथा अधिगमकर्ता के मनोविज्ञान को समझने की योग्यता विकसित करना |
  • आवश्यकता के अनुरूप विभिन्न अधिगम विधियों के प्रयोग की दक्षता उत्पन्न करना |
  • सामाजिक, सांस्कृतिक तथा भाषाई विविधता की दृष्टि से विभिन्न शैक्षिक सन्दर्भों को समझने की योग्यता उत्पन्न करना |
  • समसामयिक शैक्षिक नीतियों एवं समस्याओं के प्रति विवेचनात्मक दृष्टि विकसित करना |
  • शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के प्रभावी सञ्चालन तथा अपेक्षित सुधार के योग्य बनाना |
  • शैक्षिक प्रोद्योगिकी का ज्ञान प्रदान करना |
  • भाषा कौशलों को विकसित करना |
  • संस्कृत भाषा शिक्षण विधियों, प्रविधियों, युक्तियों एवं नवाचारों का ज्ञान प्रदान करना |
  • विद्यालयीय शिक्षण विषयों- अंग्रेजी, हिंदी, सामाजिक अध्ययन आदि के उपागमों, प्रविधियों, युक्तियों एवं नवाचारों का ज्ञान प्रदान करना |
  • पाठ्यक्रम सञ्चालन में भाषा-महत्ता को स्पष्ट करना |
  • पाठ्यक्रम निर्माण प्रक्रिया का ज्ञान प्रदान करना |
  • शिक्षण-अधिगम एवं विद्यालय प्रशासन संबंधी समस्याओं के समाधानार्थ क्रियात्मक अनुसन्धान प्रक्रिया का ज्ञान करना |
  • नेतृत्व क्षमता का विकास करना |
  • विद्यालय एवं क्षेत्र सम्बद्धता हेतु सह-शैक्षणिक एवं सामाजिक गतिविधियों के आयोजन की योग्यता विकसित करना |
  • राष्ट्रीय अभियान में प्रतिभागिता की प्रवृत्ति विकसित करना |
  • पर्यावरण संरक्षण संप्रत्ययों से अवगत करना तथा पर्यावरणीय संवेदनाओं को जागृत करना |
  • सूचना एवं सम्प्रेषण प्रोद्योगिकी के प्रयोग का अभ्यास कराना |
  • शारीरिक स्वास्थ्य के सन्दर्भ में योग एवं स्वास्थ्य शिक्षा का अवबोध विकसित करना |
  • शांति की अवधारणा का अवबोध विकसित करना तथा मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता उत्पन्न करना |
  • अध्यापक शिक्षा के सिद्धयन्त एवं प्रयोग की दूरियों को कम करने की योग्यता उत्पन्न करना |
  • व्यावसायिक क्षमताओं का विकास करना |
  • छात्राध्यापक व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास करना |
    FEE: As per the norms of Government of Rajasthan.